जिंदगी में इंसान उस वक्त बहुत टूट जाता है, मुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं है, غزل: بلکتے بچوں کو جا کے دیکھوں بِلکتے بچوں کو جا کے دیکھوں، بے گور لاشے اُٹھا کے دیکھوں वही कारवाँ वही रास्ते वही ज़िंदगी वही मरहले हजारों लोग हैं मगर कोई उस https://youtu.be/Lug0ffByUck